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में रायका (रबारी) का सिर कदापि खुला (नंगा) नहीं होता । पांवो में जूते नहीं हों ऐसा तो हो सकता है ।
टाल, टाट, श्वेत बाल आदि नंगा सिर रखने के कारण ही होने लगे हैं ।
सम्पूर्ण रथयात्रा (वरघोड़ा) परमात्मामय बननी चाहिये । दूसरी बात संयोजकों की शिकायत है कि तपस्वी २६०० हैं, परन्तु नाम सिर्फ ७४४ आये हैं । मैं ने कहा सब बराबर हो जायेगा । आपके वाहन सब भर जायेंगे ।
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अभी ही मण्डप भर गया न ? अभी घंटे भर पहले ही थोड़े से आदमी थे । परन्तु ऊपर वाला बैठा है न ? हमें क्या चिन्ता ? चन्द्रकान्तभाई :
अहमदाबाद में जगन्नाथ की रथयात्रा ( शोभायात्रा) का मार्ग २२ किलोमीटर होता है । ठसाठस जनता भरी हुई रहती है । शोभायात्रा प्रातः चार बजे प्रारम्भ होकर रात्रि में दो बजे पूरी होती है । इसके समक्ष हमारा वरघोड़ा (रथयात्रा ) कैसा ?
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परन्तु कल की रथयात्रा ऐतिहासिक होनी चाहिये । कैसे कैसे आचार्य भगवन् यहां बिराजमान हैं ? जिनके नाम लेने से भी पापों का क्षय हो जाता है । ऐसे आचार्यों की निश्रा मिले कहां से ? पूज्य आचार्यश्री विजयकलापूर्णसूरिजी :
खामि सव्व जीवे
अनन्त उपकारी तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने अहिंसा, संयम, तप रूप धर्म बताया है । सभी धर्मों में जीवों के प्रति करुणा, मैत्री व्यापक है । यदि हृदय में यह न हो तो किसी को बचाया नहीं जा सकता । अहिंसा, करुणा आदि समानार्थक, पर्यायवाची ही हैं । अहिंसा विश्व की माता है ।
शिवमस्तु बाद की दूसरी गाथां देखें ।
शिवमस्तु में सबको सुखी बनाने की भावना है । वह कहां से उत्पन्न होती है ?
'अहं तित्थयरमाया' मैं तीर्थंकर की माता शिवा हूं । शिवा अर्थात् मात्र नेमिनाथ भगवान की माता नहीं । शिवा अर्थात् करुणा, अहिंसा । प्रश्न व्याकरण में अहिंसा के ६० पर्यायवाची नामों में
कहे कलापूर्णसूरि ३ क
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