________________
पंन्यास कल्प ने कीर्त्तिगुरुवर, केवा रे विद्वान... आजे... ॥ ३ ॥ गणिश्री मुक्ति-पूर्ण-मुनिश्री, अद्भुत चेतना लावे (२) अन्तरथी प्रमाद हटावी शासन-रसिया बनावे; (२) पामर ने परमात्मा बनाववा आदर्यु छे अभियान... आजे... ॥ ४ ॥ साधु-साध्वी भेला थया छे, जाणे लगभग पांच सो, (२) शहेर ने गाम गलीथी आव्या, आराधक छे सोल सो; (२) विध विध तपना डंका वाग्या, नवो छे कीर्तिमान... आज... ॥ ५ ॥ श्रीमती लक्ष्मीबेन प्रेमजीभाई. भचुभाई गड़ा परिवार; (२) श्रीमती पार्वतीबेन हरखचंद वाघजी गींदरा परिवार; (२) मातुश्री पालइबेन गेलाभाई गाला परिवार- योगदान... आजे... ॥६॥ तप शत्रुजय उपवास एकावन, मासक्षमण सिद्धि तप; (२) अट्ठाई चौसठ प्रहरी पौषध, ने मोक्ष दंडक तप; (२) चक्रेश्वरी माताए सहुर्नु साध्युं छे कल्याण... आज... ॥ ७ ॥ श्री कच्छ-वागड़ वीशा ओसवाल मूर्तिपूजक जैन संघ; (२) कलापूर्णसूरि ना चौमासानो अद्भुत आव्यो रंग; (२) सिद्धगिरिना गगन-मण्डलमां, ऊडे यश-विमान... आजे... ॥ ८ ॥ धन-धन तमने मालशीभाई, खेतशीभाई, चमनभाई; (२) मालशी लखधीर हीरजीभाई, दोड्या छे वेलजीभाई; (२) आ चौमासे समय-सम्पत्ति, आपे कीधा कुर्बान... आजे... ॥ ९ ॥ कोई अमारी भूल थई होय, अमने माफी देजो; (२) आजे के काले या भावीमां, लाभ सेवानो देजो; (२) आराधक सहु आपे वधारी जिन-शासननी शान... आजे... ॥ १० ॥
THHTHHTHHT
५१ उपवास : २, ३० उपवास : २३, १६ उपवास : ३०, ९ उपवास : ७७, ८ उपवास : २६७, चौसठ प्रहरी : ४६७, शत्रुजय तप : ३१५, सिद्धि तप : ५, ५०० आयंबिल : १२
* खेतशी मेघजी :
किसी भी कार्य का अन्त तो आये ही । अनेक कार्यो का प्रारम्भ और अन्त होता ही है । आदीश्वर दादा तथा पूज्य आचार्यश्री की अमोघ कृपा से यह कार्य सफल हुआ है। इस कार्य में कैसे(३०० Wwwwwwwwwww00000G कहे कलापूर्णसूरि - ३)