________________ ज्ञान भण्डार में जो पुस्तकें है वे निरर्थक नहीं है / उनके योग्य कोई न कोई जीव इस विश्व में हैं ही / योग्य समय पर वे आ ही पहुंचेंगे। पुस्तकें स्वयं के योग्य पाठकों की प्रतीक्षा करती हुई भीतर बैठी हुई हैं। ____- कहे कलापूर्णसूरि, पेज-५६ श्रा. वद 9 मंगलवार दि. 25-7-2000 Tejas Printers AHMEDABAD PH. (079) 26601045