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इस तरह जानकर सद्भाग्यशाली पुण्यवन्त धर्मात्माओं को, धर्मी जीवों को तथा धर्मानुरागियों को अपने जीवन को पवित्र एवं सफल करने के लिए तथा धन्य बनाने के लिए प्रतिदिन प्रभुपूजा-जिनपूजा विधिपूर्वक अवश्य ही करनी चाहिए।
जो भव्य संसार की समस्त प्रकार की पोद्गलिक अभिलाषा प्राशा रहित सिर्फ अपने अष्टकर्मों के क्षय और मोक्ष के शाश्वत अनन्त सुख की प्राप्ति के लिए जलादि अष्टप्रकारों से विधिपूर्वक प्रभुपूजा-जिनपूजा करता है, वह विश्व से भी वन्दनीय होता है। इतना ही नहीं, किन्तु अपने सकल कर्मों का क्षय करके मोक्ष के शाश्वत सुख को भी प्राप्त करता है। इसलिए भव्यात्माओं को अपने कल्याण के लिए प्रतिदिन जिनेश्वरदेव की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
अर्हत् पूजा करने से पूजक को बहुत ही लाभ होता है। अनेक प्रकार की आई हुई आपत्तियाँ मिट जाती हैं और अनेक प्रकार की ऋद्धियाँ प्राप्त होती हैं । इसके समर्थन में विद्वान् श्री सोमप्रभाचार्य महाराज ने सिन्दूरप्रकरण नामक ग्रन्थ में कहा है कि