Book Title: Jinmandiradi Lekh Sangraha
Author(s): Sushilsuri, Ravichandravijay
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

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Page 217
________________ जैन न्याती नोहरे में पूज्यपाद आचार्य म. सा. ने चतुर्विध संघ को मांगलिक सुनाया और पू. मुनि श्री रविचन्द्र विजयजी म. ने भी प्रवचन किया। दोपहर में प्रभुपूजा का तथा रात को भावना का कार्यक्रम रहा । [१८] श्री वरकाणा तीर्थ में पूजा तथा स्वामीवात्सल्य ___ जेठ (आषाढ़) वद १३ शनिवार दिनांक १-७-८६ के दिन प्रातः रानी गाँव से चतुर्विध संघ सहित विहार कर श्री वरकाणा तीर्थ में पधारते हुए तीर्थ प्रभावक पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. का जैनपेढ़ी के द्वारा भव्य स्वागत हुआ । जिनमन्दिर में दर्शनादि के बाद परमपूज्य आचार्य म. सा. का मंगल प्रवचन हुआ। श्री वरकाणा तीर्थ में जैनधर्मशाला में इंगलिश मीडियम स्कूल का भी उद्घाटन पूज्यपाद आचार्य म. सा. की शुभ निश्रा में हुआ। श्रीमान् भबूतमलजी रानीगाँव वालों की ओर से अपनी धर्मपत्नी अंशीबाई द्वारा आराधित ५०० आयंबिल की तपश्चर्या की पूर्णाहुति के प्रसंग पर प्रभुपूजा पढ़ाई गई और स्वामीवात्सल्य भी आयोजित किया। ( ५४ )

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