Book Title: Jinmandiradi Lekh Sangraha
Author(s): Sushilsuri, Ravichandravijay
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

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Page 216
________________ दोपहर में कवराला गाँवमें जिन्मन्दिर के दर्शनादि करके श्रीसंघ को मांगलिक सुनाया। प्रभावना हुई। बाद में विहार कर शाम को रोडला गाँव में पधारे । [१७] रानी गाँव में प्रवेश, पूजा एवं प्रयाण मरुधरदेशोद्धारक - परमशासनप्रभावक-पूज्यपाद आचार्य भगवन्त श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. आदि विहार द्वारा कोसेलाव, खिमाड़ा, विरामी और रानी स्टेशन होकर रानी गाँव में बारस के दिन पधारे । उनका बैन्डयुक्त स्वागत श्रीमान् भबूतमलजी रिखबजी परमार की ओर से हुआ। जिनमन्दिर में दर्शनादि करके श्रीमान् भबूतमलजी के घर पर उनकी धर्मपत्नी अ. सौ. अंशीबाई के ५०० आयंबिल तप की पूर्णाहुति प्रसंग पर चतुर्विध संघ के साथ बैन्डयुक्त पूज्यपाद प्राचार्यदेव, पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तम विजयजी म. तथा पूज्य मुनि श्री रविचन्द्र विजयजी म. (उन्हीं के संसारी पुत्ररत्न) आदि पधारे। वहाँ पर ज्ञानपूजन एवं मंगल प्रवचन के बाद प्रभावना हुई । श्रीमान् फूटरमलजी हिम्मतमलजी राठौड़ के घर पर भी पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. आदि ने पगलियाँ किये । वहाँ पर भी ज्ञानपूजन, पैदल संघ की प्रतिज्ञा एवं मंगल प्रवचन के पश्चात् संघपूजा हुई । ( ५३ )

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