________________
( २४ )
(३) सायंकालीन पूजा : ___ सूर्यास्त के दो घड़ी (४८ मिनिट) पूर्व सायंकालीन भोजन कार्य पूर्ण करने के पश्चात् जिनमन्दिर प्राकर प्रभु के दर्शन, नमस्कार-प्रणाम, प्रदक्षिणा और स्तुति इत्यादि करके धूप-दीप जलाते हैं। तत्पश्चात् चैत्यवन्दन तथा सायंकालीन पच्चक्खाण करते हैं। बाद में जैन उपाश्रय में जाकर देवसि प्रतिक्रमण किया जाता है ।
इस तरह श्रीजिनेश्वर भगवान की त्रिकाल पूजा धर्मी जीवों को अवश्यमेव करनी चाहिए । __ त्रिकाल पूजा के फल के सम्बन्ध में श्रीधर वणिक की कथा नीचे प्रमाणे है
* (१) श्रीधरवरिणक की कथा * गजपुर नाम का एक नगर था। वहाँ पर धर्मनिष्ठ श्रीधर नाम का एक वणिक रहता था। वह प्रतिदिन जिनमन्दिर में दर्शनार्थ जाता था। एक दिन वह जैन मुनियों के मुख से जिनपूजा का फल सुनकर प्रतिदिन जिनपूजा करने लगा।
एक दिन श्रीधर धूपपूजा कर रहा था। उस समय उस ने ऐसा अभिग्रह लिया कि जब तक यह सलगता