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यह अनुपम प्रभाव श्रीजैनधर्म को-जैनशासन को प्रवर्त्ताने वाले देवाधिदेव वीतराग भगवन्त श्रीजिनेश्वरतीर्थंकर परमात्माओं का है।
वर्तमान काल में इस अवसर्पिणी के चौबीसवें तीर्थंकर श्रमण भगवान महावीर परमात्मा का अनुपम प्रभाव है।
प्राषाढ़ [ज्येष्ठ]
वद ७ ११-६-१९६३ [अंजनशलाका
दिन]
जैन उपाश्रया कोसेलाव, राजस्थान