Book Title: Jinmandiradi Lekh Sangraha
Author(s): Sushilsuri, Ravichandravijay
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

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Page 188
________________ प्रभावक पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. की शुभ निश्रा में निर्विघ्न हुई। बृहद्शान्तिस्नात्र विधिपूर्वक पढ़ाया गया । उसी दिन समारोह तथा फलेचुन्दड़ी का भी कार्यक्रम बहुत ही सुन्दर हुआ। शाम को परमपूज्य प्राचार्य म. सा. आदि विहार कर रानीगाँव पधारे । __ महा सुद १४ रविवार दिनांक १६-२-८६ के दिन सांचोड़ी में प्रातः विधिपूर्वक द्वारोद्घाटन,दोपहर में सत्तरहभेदी पूजा तथा स्वामीवात्सल्यादि कार्य होते हुए प्रतिष्ठा महोत्सव की पूर्णाहुति परम शासन प्रभावना पूर्वक हुई, जो सांचोड़ी गाँव के इतिहास में सुवर्णाक्षरे अंकित रहेगी। (8) कोलरगढ़ तीर्थ में प्रवेश और श्री उपधान तप का प्रारम्भ राजस्थान-दीपक परम पूज्याचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. आदि विहार कर खिमेल, फालना-अम्बाजीनगर, जाकोड़ा, सुमेरपुर, अटवाड़ा, पालड़ी (सिरोही) होकर महा (फागण) वद ४ शनिवार दिनांक २५-२-८६ के दिन कोलरगढ़ तीर्थ में पधारते हुए। श्री जैन पेढ़ी द्वारा बैन्ड युक्त पूज्यपाद आचार्य जिन-3 ( २५ )

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