Book Title: Jinmandiradi Lekh Sangraha
Author(s): Sushilsuri, Ravichandravijay
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

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Page 211
________________ व्याख्यान, पूजा-प्रभावना, स्वामीवात्सल्य तथा रात को भावना का कार्यक्रम पूर्ववत् चालू रहा। २. जेठ सुद ६ शुक्रवार दिनांक ६-६-८६ के दिन कुम्भस्थापनादि, अष्टादश अभिषेक तथा जलयात्रा का भव्य वरघोड़ा तथा पगलियाँ का कार्यक्रम विशेष रूप में हुआ। ३. जेठ सुद ७ शनिवार दिनांक १०-६-८६ के दिन बृहदशान्तिस्नात्र विधिपूर्वक पढ़ाया गया। पगलियाँ का भी कार्यक्रम रहा। ४. जेठ सुद ८ रविवार दिनांक ११-६-८६ के दिन 'श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन' विधिपूर्वक पढ़ाई गई। स्वामीवात्सल्य भी हुआ। पगलियाँ का भी कार्यक्रम रहा। महोत्सव की पूर्णाहुति हुई। शाम को विहार कर पूज्यपाद प्रा. म. सा. वालराई पधारे। * जेठ सुद ६ सोमवार दिनांक १२-६-८६ को प्रातः विहार कर पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. आदि धरणागाँव में पधारे। जिनमन्दिर में दर्शनादि किया और मन्दिर अंगे श्रीसंघ को मार्गदर्शन दिया। व्याख्यान में पाँच भाइयों की ओर से पाँच संघपूजा हुई तथा संघ की तरफ से पंच कल्याणक पूजा प्रभावना समेत पढ़ाई गई। ( ४८ )

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