Book Title: Jinmandiradi Lekh Sangraha
Author(s): Sushilsuri, Ravichandravijay
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

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Page 184
________________ सनवाड़ा - खरतारणा - जेवणा - फलीचरा - नाथद्वारागांवगुड़ा-मजेरा- रिचेड़ - जीलवाड़ा - घाणेराव कीर्तिस्तम्भ होकर पौष [महा] वद १३ शनिवार दिनांक ४-२-८६ के दिन सादड़ी पधारे। उसी दिन लुणावा से निकला हुआ पदयात्रा संघ भी पूज्यपाद आचार्य श्रीमद् विजय प्रद्योतनसूरिजी म. सा. आदि के साथ आया। दोनों पूज्यपाद आचार्य म. सा. का संमिलन हुआ। सादड़ी संघ की ओर से बैन्ड युक्त स्वागत हुआ। जिनमन्दिरों के दर्शनादि के बाद जैन न्याति नोहरा में पूज्यपाद दोनों आचार्य म. सा. के मंगल प्रवचन का कार्यक्रम रहा । * पौष (महा) वद १४ रविवार दिनांक ५-२-८६ के दिन सादड़ी से पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. अपने मुनि परिवार सहित मुण्डारा पधारते हुए। श्री संघ की ओर से स्वागत हुआ। व्याख्यान के बाद प्रभावना हुई। वहाँ से संध्या समय कोट गाँव पधारे। [८] सांचोड़ी में प्रवेश और प्रतिष्ठा महोत्सव फालना-अम्बाजीनगर-खिमेल-रानीस्टेशन होकर महा सुद ५ (वसन्त पंचमी) शुक्रवार दिनांक १०-२-८६ के दिन परम शासन-प्रभावक-पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् ( २१ )

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