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श्रीधर श्रेष्ठी करोड़ों सोना मोहर का स्वामी बना। अन्त में, मृत्यु पाकर सद्गति को प्राप्त हुआ।
श्रीवीर सं. २५१५ विक्रम सं. २०४५ पौष (महा) वद-५ शुक्रवार, दिनाङ्क २७-१२-१९८६ [श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जिनमन्दिर प्रतिष्ठा दिवस]
जैन धर्मशाला मु. फतहनगर जिला-उदयपुर
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