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( ५२ ) अन्य भी योग्य भक्तिप्रिय जीवों में प्रभुभक्ति का भाव प्रकटाने में निमित्तभूत बन कर स्व-पर कल्याण के भागी होकर दस-दस दृष्टान्तों से दुर्लभ ऐसे इस मनुष्यभव-मानव जन्म को सफल करें। यही शुभ कामना ।
श्रीवीर सं० २५१५ विक्रम सं० २०४५ महा सुद-१३ शनिवार, दिनांक १८-२-१९८६, साँचोड़ी (पाली) [श्रीमनमोहन पार्श्वनाथ जैनमन्दिर-प्रतिष्ठा दिन]