Book Title: Jine ke Usul Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha Foundation View full book textPage 6
________________ पूर्व स्वर 'जीने के उसूल' महान् जीवन-द्रष्टा पूज्य श्री चन्द्रप्रभ की ओर से अखिल मानवता के लिए चिरन्तन प्रेरणा है। यह शांति, समृद्धि और सफलता का वह द्वार है जिससे हजारों लोगों ने अब तक सृजन और विकास की मंजिल पाई है। पुस्तक में दिए गए वचन मानो उनके वक्तव्यों के सार-संदेश हैं। जब भी हम अपने आपको किसी समस्या या ऊहापोह से घिरा हुए पाएँ, प्रस्तुत पुस्तक के पन्ने खोलें, कुछ अमृत वचन पढ़े, आप पाएंगे कि आप समाधान के नये क्षितिज में अपने कदम रख चुके हैं। सचमुच, आप एक अद्भुत विश्वास और नई ऊर्जा से भर उठेंगे। आपके अन्तर्मन की, आचार और व्यवहार की दुर्बलता विलीन हो जाएगी। आप स्वस्थ मन और स्वस्थ जीवन के स्वामी हो चुके होंगे। पूज्य श्री चन्द्रप्रभ भगवत् कृपा का वह वरदान है, जिसने मानवता को अपनी साधना का अशेष ज्ञान प्रदान किया है। जब वे ध्यान में बैठे हों, तो उनकी मूरत दर्शनीय होती है और जब वे प्रवचन देते हैं, तो उनकी वाणी हर हृदय को धन्य करती है। जीने की सही-सार्थक दिशा देकर वे हमारी अंगुली थाम सीधे सफल रास्ते पर ले आते हैं। ‘जीने के उसूल' उनके उन्हीं प्रेरक वचनों का संकलन है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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