Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 9
________________ अकपनाचार्य mm अतरकरण अंतरकरण-१.२५ अ, उपशम विधान १.४३८ ब, अंतश्चित्प्रकाश-दर्शनोपयोग २४०६ ब, २.४०७ अ। चारित्रमोह क्षपणा २.१८० अ। अतस्तत्त्व- तत्व २.३५३ ब। अंतरकृष्टि-१२७ अ, कृष्टि २.१४० अ, ब, चारित्र अंतिम गुणहानि-गणित २.२३२ अ। मोह क्षपणा २.१८०ब। अतिमतीर्थ-कृतिकर्म २१३४ अ, समवसरण ४३३१ ब । असरद-१.२७ अ, ग्रह २.२७४ अ। अत्यसौम्य---सूक्ष्म ४.४३८ ब । अंतरनिवासी देव-व्यन्तर देव -आयु १२६४ व । अत्यस्थौल्य -४४३६अ। अंतरात्मा---१२७ अ, आत्मा १२४४ ब, जीव अध --.१ ३. अ, नरक पटल-निर्देश २ ५८० अ, विस्तार २३३३ अ, ब, त्याग-ग्रहण ३ ३०५ ब, भव्य २.५८० अ, अवगाहना ११७८, आयु १.२६३ । ३२१३ अ, शास्त्रज्ञान २.२६७ ब। अधपाषाण-३.२१२ अ। अंतरानयोग द्वार-११०२ अ, काल २६४ अ । अधश्रद्धान---४ ४४ अ। अंतराय (आहार)-१.२७ ब । अधहस्ती न्याय--एकान्त १४६३ ब। अंतराय कर्म प्रकृति--१२७ ब, अघातीवत १९१ अ, अंधेद्रा नरक पटल-निर्देश २५८० अ, विस्तार आबाधा १.२४६ अ । प्ररूपणा-प्रकृति १२७, २५८० अ, अवगाहना ११७८, आयु १२६३ । ३८८, स्थिति ४,४६७, अनुभाग १.६४ ब, ९५, अंध्र--नगरी १.३० ब । अनुभाग का अल्पबहुत्व १.१६७ अ, ११६६ ब, अंधकरूढि-१३० अ, वानरवश ६.३३८ ब। प्रदेश ३.१३६ । बन्ध ३६७, बन्धस्थान ३११०, अंधकवृष्णि -१.३० अ, यदुवंश १३:६, हरिवश उदय १३७५, उदय के निमित्त १.३६७ व, उदय १.३४० अ। स्थान १.३८७ ब, उदीरणा १.४०० अ, १.४११, अंबर -- १३० व । उदीरणा स्थान १.४१२, सत्त्व ४.२८१, सत्त्वस्थान अंबरतिलक -१३० व, विद्याधर नगरी ३ ५४५ ब । ४.२९४, त्रिसंयोगी भंग १४०१ अ, १३६६ ब। अंबरीष-१३० ब । अध्यवसाय स्थान १६५, ३.१३८ अ, अल्पबहुत्व अवर्णा -१.३० ब । नदी ३.२७६ अ । ११६७ अ, सक्रमण ४.८५ ब। अबा-कुरुवश १ ३३६ अ, व्यतर गणिका ३.६११ ब । अंतरायाम-अन्तरकरण १२५ अ, १२६ ब, १.२७ अ, अबालिका -कुरुवंश १.३३६ अ । उपशम १.४४१ अ। अंबिका- कुरुवश १.३३६ अ । नव नारायण ४१८ । अंतरिक्ष निमित्तज्ञान--२.६१२ ब, ऋद्धि १.४४८ । अंबुवात-: ५३२ अ। अंतरिक्ष स्थिति-अहंन्नातिशय ११३८ । अंभोद-राक्षस वंश १.३३८ अ। अंतरित-श्रद्धान ४.४५ अ । अंभोधि- यदुवश १.३३७। अंतर्वीप--१.२६ व । कुमानुष द्वीप-निदेश ३.४६२ ब, अंश--१३० ब, उत्पादादि १३५८ अ, ३६१ब, केवलज्ञान विस्तार ३.४४६, अकन ३४४४, ३.४६१,३४६४ के २.२५६ ब-२६०, गणित २२२३ ब, गुण २.२४१ सामने । कालविभाग २.६३, भोगभूमि २.४६२ ब । अ, ज्ञान २.२५६ ब, चारित्र २.२६३ ब, परमाणु चक्रवर्ती का वैभव ४.१३ व। म्लेच्छ--निर्देश ३१७ म, पर्याय ३.४५ ब, बन्ध ३३३४ अ, भेद ३.२७३ ब, ३३४५ ब, ३३४६ अ, अवगाहना विज्ञान ३.३३४ अ, मोक्ष ३३३४ अ, राग १.४३२ १.१८०, आयु १.२६४ अ, गुणस्थान ३.२३६ अ। अ, ब, ३.३०५ ब, सवर ४१४३ ब, सम्यक्त्व बौद्धाभिमत ३.४३४ ब। ३.३०६ अ, ३१० अ। अंतर्धान ऋद्धि-ऋद्धि १.४४७, १.४५१ ब । अंश कल्पना-१३० ब, विकलादेश ३.५३६ ब । अतपण्ड्य -१.२६ ब, मनुष्यलोक ३२७५ ब । अंशपना--३ १८ ब। अंतर्मग्न-मोक्षमार्ग ३.३३७ ब। अंशमान-विद्याधर वश १.३३६ अ । अंतर्मखचित्प्रकाश-दर्शनोपयोग २४०६ ब, २.४०७ अ, अ-असज्ञी २.२१६ अ। अंतर्महत-१.३० अ, काल का प्रमाण २.२१६ ब, अकंप-यदुवश १३३७ । सहनानी २.२२० अ। अकंपन-१३० ब, गणधर २.२१३ अ, राज्यवश १.३३५ अंतविचारिणी-१.३० अ, विद्या ३५४४ अ । अ, यदुवंश १.३३७ । अतस्थिति- अन्तरकरण १.२५ ब, सक्रमण ४.८९ ब। अकंपनाचार्य-१३० न, विष्णुकुमार १.३३६ अ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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