Book Title: Jainatva Jagaran
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Chandroday Parivar

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Page 13
________________ जैनत्व जागरण..... ११ ने लाखों जैन साधुओं को जला दिया था । व लाखों साध्वी मंडल को बे-रहेमी से गला काटकर मार दिया था। साध्वी मण्डल पर बहुत अत्याचार गुज़रने लगे तब कई साध्वी गण, श्रावक - श्राविका गणने अन्य धर्म का शरण ले लिया । आज ये लोग संपूर्ण शाकाहारी है । जीवदया इनका मुख्य उद्देश्य है। प्राचीनलिपि के जानकार है । शुद्ध श्रावक की तरह जीवन जाते है फिर भी जैन नहीं है । आज जैनत्व जागरण करने से जागृति आ सकती है। साधु-साध्वी मण्डल का आज विचरण आवश्यक है। आज गुजरात, पालीताणा, मुंबई, महाराष्ट्र, राजस्थान छोडकर इन राज्यों में हमारा विचरण अति आवश्यक है। इसके आगे जब मुस्लिमों ने आक्रमण किया तब बहुत से जैन मुस्लिम धर्म में परिवर्तित हो गए जो आज बहोरा आदि के नाम से जाने जाते है तिब्बत, म्यानमार, थाइलेन्ड, वियेतनाम, आदि देशों में बौद्धों ने जोर जबरदस्ती अनेक जैनों को बौद्ध धर्मी बना दिया, आज भी वहाँ के कई जैन मन्दिर, बौद्ध मन्दिर के रुप में पूजे-जाने जाते है। सुप्रसिद्ध बौद्ध मन्दिरों को देखने से यह सच मालूम पडेगा । अब इसका कोई उपाय नहीं है। . (६) सराक जैन : आज इस ग्रंथ में हमें इन भाइयों के बारे में चर्चा करनी है। क्षेत्र : उत्तर-पूर्व भारत, बंगलादेश, म्यानमार (बर्मा) सिक्किम, भूटान तिब्बत आदि देशो में. आबादी : ५५ लाख से ज्यादा. आज : आज इन भाईओं को पता चल रहा है की हम वास्तव में जैन ही थें । इस क्षेत्र में असंख्य जैन मन्दिर के ध्वंस अवशेष पाए जाते हैं । वर्तमान मे सराक क्षेत्रो में करीब २० जैन नए मन्दिर बन चुके है। सराक जाति के गोत्रों का नाम भी ऋषभदेव गोत्र, आदिदेव, वर्धमानदेव, धर्मदेव, शान्ति आदि चोबीस तीर्थंकर के नामों के अनुरुप है । कई सराक

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