Book Title: Jainatva Jagaran
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Chandroday Parivar

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Page 12
________________ जैनत्व जागरण....... पालन नहीं करते हैं। इसी प्रकार पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है । जैनों की ८४ जातियाँ मुख्य रूप से शास्त्रों में उल्लिखित हैं जिसमें अग्रवाल जाति पक्के तौर पर जैन धर्म को मानने वाली बताई है लेकिन आज यह समाज तेजी से अजैन वर्ग में सम्मिलित होता जा रहा है । कहीं ऐसा तो नहीं कि अग्रवाल समाज की यही दशा हो जाए इसलिए मेरा अनुरोध है कि समय रहते हमें इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए कि सभी जैन जातियाँ संगठित हों और उत्तर भारत की वैश्य सिरमौर जाति अग्रवाल पूरी तरह से अपने पूर्वजों के धर्म को अंगीकार करे, ऐसी रूपरेखा समाज में बने । १० (३) जयस्वाल जैन प्रदेश : पूरे उत्तर हिन्दुस्तान में बिखरे है कुल संख्या : ३ लाख से उपर मूल देश : जयपुर (जयराज पुरी) से निकले आ. जिनचंद्र सूरि द्वारा प्रतिबोधित लोग जयस्वाल कहलाए । आज : जयस्वाल समाज आज जैन नहीं है पूर्णत: वैष्णव धर्मी है । व इनको वापिस जैन बनांना खाने का खेल नहीं है । प्रयत्नकिया जा सकता है (४) खंडेरवाल जैन प्रदेश : राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली. मूल देश : खंडेराजपुर ( आज का सांडेराव) से निकले व आ. जिनपति सूरि द्वारा प्रतिबोधित लोग खंडेरवाल है । जैन. संख्या २० हजार, स्थिति आज कई जैन है । (५) लींगायत जैन क्षेत्र : दक्षिण भारत । संख्या ५ करोड से ज्यादा. मूल स्थान : दक्षिण लंका से निकले आ. भद्रबाहु द्वारा प्रतिबोधित आज : वहीं सब जानते है की हम जैन है । दक्षिण में अन्यलींगी

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