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जैनत्व जागरण.....
॥ ॐ ह्रीँ श्रीँ श्री जीरावला पार्श्वनाथ रक्षां कुरु कुरु स्वाहा || २. संपादक की ओर से.....
इतिहास गवाह है कि हजारो वर्ष पूर्व करोडो श्रावकों की आबादी वाला जैनशासन आज अन्य धर्मियों के आक्रमण से अल्पसंख्यक बन गया है । आज सरकारी अंको के अनुसार जैन मात्र 35 लाख बचे है । विधर्मी लोगों ने जैन शासन को, असंख्य जिनमंदिरो को एवं असंख्य जिनबिंबो को भारी मात्रा में नुकसान पहुँचाया । अरे ! अल्लाउदीन खीलजी की सेना ने तो ६ महीने तक अपने ग्रंथ भंडारों से से मिले ग्रंथो को जलाकर तापणा किया । दक्षिण में असंख्य जैन साधु-साध्वीओ की जिन्दा जला दिया गया । अरे ! जगन्नाथपुरी जो जीरावला पार्श्वनाथ का मूल स्थान था वहाँ जब जैन श्रावको ने अपना मन्दिर बचाने की कोशिश की सबका गला काट दिया गया । लाखो बच्चों को जिन्दा जला दिया गया औरतो पर अत्याचार होने
लगा ।
उसी समय इन अमानवीय अत्याचारों से अपने प्राणों की व अपने जैनशासन की रक्षा के लिए कई जैनुधर्मी भाई-बहनों ने नगरं छोडा, कई ने अपना बलिदान दिया, कई लोगने धर्म परिवर्तन का शरण स्वीकार कर लिया । क्यों ? मजबूरी थी उनकी उस समय जैनों का कत्लेआम हो रहा
था ।
ओ जैन धर्म के लोगो, ज़रा आँख में भर लो पानी जो शहीद हुए है उनकी, जरा याद करको कुर्बानी....
ऐसे ही धर्मपरिवर्तन हुए अपने भाईओं की जानकारी और विचार हमारे मन में होना ही चाहिए ।
धर्म परिवर्तित जैनों में
(१) पल्लीवाल जैन :
प्रदेश राजस्थान, उत्तरांचल, मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली
आदि.