________________
महोपाध्याय माणकचन्द रामपुरिया
हीरक जयन्ती स्मारिका
Jain Education International
करते हैं हम स्वागत
आज यही सौभाग्य अपरिमित
करते हैं हम स्वागत ॥
आप विज्ञ जन सुहृद पधारे
जाग गए हैं भाग हमारे,
यह अनुकम्पा बड़ी आपकी
नव जीवन की आगत । हम सब का सौभाग्य अपरिमितकरते हैं जो स्वागत ॥ भावों का मृदु सुमन सजा है, रन्ध्र - रन्ध्र में वेणु बजा है,
मोद मगन है जन-जन सबकाखिला कमल मन शत-शत ।
हम सब का सौभाग्य अपरिमितकरते हैं जो स्वागत ॥ आप सभी का संबल पाकर, बढ़ते रहें निरंतर पथ पर, उच्चादर्शों से अनुप्राणित,
जीवन का हो अभिमत । हम सब का सौभाग्य अपरिमितकरते हैं जो स्वागत ॥ आज जयन्ती हीरक - भूषित, बने धरा पर पुण्य - विभूषित, जन-जन में देवत्व भाव की
करें प्रतिष्ठा विधिवत् । आज यही सौभाग्य अपरिमितकरते हैं हम स्वागत ॥
For Private & Personal Use Only
41 - डी, श्यामाप्रसाद मुखर्जी रोड, कलकत्ता - 26
विद्यालय खण्ड / १
www.jainelibrary.org