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कमल सिंह कोचर
श्री जैन विद्यालय सफल छात्र जीवन सुसंस्कार प्रदान करने की सुनाम परम्परा का एक सुन्दर प्रतीक है। यह विद्या मन्दिर अपने छात्रों को सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन व सम्यक् चरित्र की त्रिमुखी शिक्षा प्रदान कर उन्हें सफल, सार्थक, सुखी व सम्पन्न जीवन बनाने में अपेक्षित भूमिका का निर्वाह करता है।
श्री जैन विद्यालय : एक सुनाम विद्या मन्दिर
श्री जैन विद्यालय अपना छात्र जीवन निर्माण कार्यारम्भ प्रभु स्तुति से करता है। यह प्रभु अर्चना छात्रों को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है। आध्यात्मिक शक्ति सर्वोपरि शक्ति है। यह हमें उचित व सही मार्ग पर चलने के लिए अग्रसर करती है तथा गलत मार्ग पर चलने से रोकती है।
प्रभुवन्दन के पश्चात् श्री जैन विद्यालय अपने छात्रों को शैक्षणिक शिक्षा प्रदान करता है। यह शिक्षा साधारण परम्परागत तरीकों से हटकर आधुनिक, हृदयस्पर्शी व कारगर रूप से दी जाती है। अध्यापन कार्य में दक्ष अध्यापक गण प्रायः प्रत्येक छात्र से ऐसा मनः सम्पर्क रखते हैं जैसा कि भगवान अपने भक्तों से रखता है। प्रत्येक छात्र कुछ ऐसा महसूस करने लगता है मानो अध्यापक महोदय उसका व्यक्तिगत रूप से ध्यान रख रहे हैं। उसकी गतिविधि पर वे निगाह रखे हुए हैं। वह अपनी हर उलझन व समस्या के निराकरण हेतु निःसंकोच अपने संबंधित अध्यापक के पास जाता है तथा पूर्णतः संतुष्ट होता है। इसी अति उत्तम परम्परा का सफल परिणाम विद्यालय का बोर्ड का परीक्षा फल है। शत-प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण होते हैं तथा उनमें से काफी अधिक संख्या में छात्र प्रथम श्रेणी प्राप्त करते हैं।
श्री जैन विद्यालय अपने छात्रों की बहुआयामी उन्नति में पूर्ण सक्रिय है। यहां यह प्रयास किया जाता है कि प्रत्येक छात्र में छिपी हुई प्रतिभा को उजागर किया जाए। भगवान भास्कर जब उदित होते हैं तो सारी धरा प्रकाशमान होती है। ऐसे महसूस होता है कि प्रकृति स्वतः प्रकाशयुक्त
हीरक जयन्ती स्मारिका
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है लेकिन रात्रि के समय यह सारा प्रकाश लुप्त हो जाता है। श्री जैन विद्यालय यह प्रयास करता है कि इसके छात्र उस प्रकाश से प्रकाशित न होकर अपनी प्रतिभा से अपने सुलक्षणों से, अपने कार्यकलापों से प्रकाशमान रहें ।
आध्यात्मिक, शैक्षणिक शिक्षा के साथ-साथ पूर्ण स्वस्थ रहें, यह ध्यान में रखते हुए शारीरिक शिक्षाएं भी दी जाती है। छात्रों के बहुमुखी विकास के लिए अन्य कार्यक्रम जैसे वाद-विवाद, खेलकूद, पर्यटन, सेवाकार्य इत्यादि निरन्तर परम्परागत रूप से चलते रहते हैं। ऐसा है हमारा विद्यालय - श्री जैन विद्यालय ।
सामाजिक संस्था की सफलता तभी मानी जाती है जब वह उन उद्देश्यों की पूर्ति में सार्थक होती है जिनके लिए उसका गठन किया जाता है। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संस्था के कार्यकर्ताओं को तन-मन-धन से सहयोग देना होता है । हमारा श्री जैन विद्यालय इस मापदण्ड पर पूर्णत: सफल उतरता है। इस संस्था की शैक्षणिक परम्परा के तीन स्तम्भ हैं, श्री रामानन्दजी तिवारी, श्री कन्हैयालालजी गुप्त तथा श्री कामेश्वरप्रसादजी वर्मा यानी हमारे तीनों प्रधानाचार्य इनके कार्यकाल में विद्यालय निरन्तर उन्नति की ओर अग्रसर हुआ है एवं हो रहा है। श्री स्थानकवासी जैन सभा हमारे विद्यालय का हृदय है। यह संस्था वस्तुतः विद्यालय का जीवन, प्राण है। इस संस्था के सेवाभावी कार्यकर्ताओं का सुफल परिणाम है, आज का श्री जैन विद्यालय ।
शिक्षा पूर्ण होने के पश्चात् जब छात्र व्यावहारिक जीवन में प्रवेश करता है तब वह अपने माता-पिता के इस निर्णय पर गौरवान्वित होता है कि उसे श्री जैन विद्यालय में शिक्षा दिलाई गई थी। यहां छात्रों में एक ऐसा घर जैसा वातावरण बनता है कि आगे कार्यकारी जीवन में भी सब एक दूसरे के पूरक व सहयोगी बनते हैं। समाज एक-दूसरे के सहयोग से अग्रसर होता है।
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मेरा व अन्य बहुत लोगों का यह अनुभव रहा है कि श्री जैन विद्यालय के छात्र अपने व्यावहारिक जीवन में अपने विद्यालय के छात्रों से व्यापारिक व सामाजिक संबंध बनाएं रखने में गर्व अनुभव करते हैं। फलत: सबकी उन्नति स्वाभाविक है।
मुझे गर्व है कि मैं श्री जैन विद्यालय का एक छात्र रहा हूं। अपने छात्र जीवन में कई वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में मैंने श्री जैन विद्यालय की तरफ से भाग लिया। मेरे को दी हुई शिक्षा का सफल प्रदर्शन करते हुए अनेक पुरस्कार मैने प्राप्त किये। मैं अपने गुरुजनों का अतिप्रिय छात्र रहा हूं। उनके आशीर्वाद स्वरूप श्री जैन विद्यालय का "प्रथम छात्र" हेड ब्वाय बना तथा आज मैं श्री जैन विद्यालय का हिसाब परीक्षक भी (आडिटर) बन सका ।
मैं प्रत्येक छात्र को यह सुझाव एवं परामर्श देना चाहता हूं कि वे श्री जैन विद्यालय से बहुत कुछ सीख समझ कर अपना भावी जीवन सफल बना सकते हैं। जरूरत है मन लगाकर इस विद्या मंदिर में तनमन से पढ़ने लिखने एवं समझने की अपने पूरे जीवन काल में अपने मन मंदिर में इस विद्यालय का सदा-सर्वदा आदर करें, यही कामना है।
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विद्यालय खण्ड / २२
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