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अभिषेक काजरिया, XI-C
मुझको पास करा दो राम
रात दिवस मैं मेहनत करता, याद न कुछ मैं कर पाता हूं।
घोटम-घोट लगाता फिर भी,
भूल सभी कुछ जाता हूं। खाना पीना हुआ हराम, मुझको पास करादो राम।
अंग्रेजी ने आफत कर दी,
बिगड़ गया सब मुंह का स्वाद। मीनिंग स्पेलिंग रटते-रटते, आ जाती नानी की याद,
योंही बीती उम्र तमाम,
मुझको पास करा दो राम। राम-राम कर रटता पोथी, सुन-सुन श्लोक पक गए कान।
किन्तु सदा अण्डे ही मिलते,
और किरकिरी होती शान। तुम तो हो विद्या की खान, मुझको पास करा दो राम।
हीरक जयन्ती स्मारिका
विद्यार्थी खण्ड /४
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