Book Title: Jain Tattva Darshan Part 06
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

Previous | Next

Page 27
________________ थी। उसने भी रानी को पहचाने लिया था। उसका मन उसके मिलन हेतु लालायित हो रहा था। अत: वह बार-बार रानी को ओर बढ़ने लगा। यह देखकर रानी ने उसे सलाह देते हुए कहा- हे वानर ! अब मुझे पाने की मिथ्या आशा में क्यों दौड धूप कर रहा है? अब तेरा यह प्रयत्न सफल नहीं हो सकेगा। तुझे बाधा पहुंचाई है तेरी ही भूल ने। तुझे कष्ट दे रहा है तेरा स्वयं का ही लोभ । यदि तूने लोभांध बनकर सरोवर में पुन: कूद पडने की भूल न की होती तो ऐसी दुर्दशा कदापि न होती। अपनी भूल का फल अपने को ही भुगतना है। अब जैसा देश काल है, तदनुसार की बरत ले इसी में समझदारी है। बालकों ! इस बंदर के दृष्टांत से आप अच्छी तरह समझ गये होंगे कि कीमती मनुष्य भव प्राप्त करने पर भी उसे खो देने के कारण उसे कितनी बडी हानि उठानी पडी। बस ! तो इसी प्रकार सूत्र-पाठ में अक्षर-काना-मात्रा, बिंदु आदि अधिक बोला जाए तो बडा भारी अनर्थ हो जाता है। अत: तनिक भी कमीबेशी न हो, इस प्रकार सावधानीपूर्वक सूत्र का पठन-पाठन करना चाहिए। अधिकस्य अधिकम् फलम् सूत्र का उपयोग यहाँ नहीं हो सकता। ___ चार अंग:- पाठशाला को चलाने के लिये उसके चार अंग है। जिस प्रकार गाडी के चार पहिये होते है, वे चारों ही पहिये अपना अपना कर्तव्य निभाते है तभी गाडी सुरक्षित रूप से अपना मार्ग काट कर इष्ट स्थान पर पहुंचा सकती है। उनमें से एक भी पहिया बिगड जाता है, तो गाडी ठीक ढंग से नहीं चल पाती, उसी प्रकार पाठशाला रुपी गाडी चलाने के लिये उसके चार पहियों रुप चार अंग बताए जा रहे हैं। वे हैं : 1. बच्चे-विद्यार्थी गण, 2. बच्चों के माता-पिता, 3. विद्या गुरुजन (शिक्षक वृंद), 4. पाठशाला के कार्यकर्ता गण 1. यदि बच्चे पाटशला में पढ़ने न आएँ तो पाठशाला चल नहीं सकती। 2. बच्चों के माता-पिता अपनी संतानों को पाठशाला में पढने न भेजें तो पाठशाला नहीं चल सकती। 3. पाठशाला के शिक्षक पाठशाला में अध्यापन करवाने के लिये आए ही नहीं, अथावा यदा कदा ही आएँ, __समय पर न जाएँ तो पाठशाला नहीं चलती। 4. पाठशाला के कार्यकर्ता यदि पाठशाला के प्रति ध्यान न रखें, लापरवाही बरतें, विद्यार्थियों को उत्साहित कर पाये, ऐस आयोजन न करें तो पाठशाला नहीं चल सकती। पाठशाला के आयोजन में एक और विशेष ध्यान रखने योग्य बात यह है कि विद्यार्थियों को अभक्ष्य ऐसे बिस्कुट-चॉकलेट, केडबरी आदि की प्रभावना नहीं करनी चाहिए। रात्रि कालीन पाठशाला में खाने योग्य कैसी भी वस्तु की प्रभावना न की जाए, क्योंकि पाठशाला से छुट्टी होने पर बच्चे रास्ते में ही खाने लग जाते है जिससे रात्रि भोजन का दोष लगता है। * गाथा कंठस्थ करने की पद्धति * 1. 3-4 अक्षर से अधिक अक्षर वाले शब्द एक साथ न बोलें। 25

Loading...

Page Navigation
1 ... 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132