Book Title: Jain Tattva Darshan Part 06 Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai Publisher: Vardhaman Jain Mandal ChennaiPage 46
________________ जरूरत होती है। पूर्ण विश्राम मिले तो सबेरे शरीर में स्फूर्ति आती है। आज का व्यक्ति पूरा दिन भटकता रहता है, फिर रात्रि में 10 बजे जब शरीर पूर्ण विश्राम मांगता है तब उसे भोजन देता है। होजरी की पूरी थेली फूलटाईट करके व्यक्ति सोने का प्रयत्न करता है। पर नींद नहीं आती, कारण की शरीर सोने का काम करें या अंदर गए भोजन को पचाने का काम करें ? दो काम एक साथ नहीं हो सकता । यदि व्यक्ति को नींद आ गई तो पेट में जो माल सप्लाय किया है वह पचे बिना ऐसा ही पड़ा रहेगा। वह डे पडे सडेगा और एसीडीटी जैसे अनेक रोग पैदा करेगा। व्यक्ति अगर जागता रहेगा तो जागरन होगा और माथा दुःखने लगेगा, दोनो तरफ उपाधि है। इससे तो अच्छा है कि रात्रि में खाना ही नहीं । थाणा जिल्ले के शाहपुर गांव से दो कि.मी. दूर एक बडा फॉरेस्ट है। हजारों वृक्ष इस वन में है। मैं अनेक बार शाम के समय इस जंगल तरफ से पसार हुआ हूँ। जब-जब इस तरफ गया हूँ तब-तब बराबर ध्यान पूर्वक मार्क किया है कि, सूर्यास्त होने के साथ ही सैकडों पक्षी दूर-दूर से उड़ते हुए आकर स्वयं के घोसले की जगह खोजते है। उनकी चीं-चीं की आवाज से पूरा आकाश गूंज उठता था। संध्या ढले तब तक वे अपने रैन बसेरे की व्यवस्था कर लेते थे। पंख सुकडकर आंख मूंदकर समय पर सो जाते थे। दूसरे दिन सूर्य के उदय होने के बाद ही अपनी जगह छोडकर दाने की खोज में निकलते थे। तुम्हारे घर की छत पर यदि दाना डालने में आया हो तो तुम भी निरीक्षण करना कि सूर्योदय होने के पहले कोई भी पक्षी दाना चुगेगा नहीं । दाने का ढेर पडा हो तो भी सूर्यास्त के बाद कोई भी पक्षी एक दाना भी मुंह में नहीं लेगा। इन पक्षियों को किसी धर्मगुरु ने रात्रिभोजन त्याग की सौगंध नहीं दी परंतु कुदरती रीति से ये लोग भोजन को त्याग देते है। मानव समझदारी का ठेका लेकर फिरता है, फिर भी एक कबूतर या चिडीयाँ जितनी सीधी सादी समझ भी उसके पास नहीं यह कितने अफसोस की बात है। एक श्लोक में नरक के चार द्वार बताये है। प्रथम द्वार रात्रिभोजन को कहा है। नरक का नेशनल हाईवे नं. 1 तरीके प्रसिद्धि प्राप्त किया हुआ यह पाप को समझदार व्यक्ति को जल्द से जल्द छोड देना चाहिए। नहीं तो गाडी गेरेज से निकल कर नेशल हाईवे नं. 1 पर दौड जायेगी। कुछ सावधानीयाँ: 1. रात्रिभोजन के त्यागियों को शाम के समय घडी का कांटा देखते रहना चाहिए। सूर्यास्त का समय रोज ध्यान में रखना चाहिए। एकदम आखिरी टाईम में भोजन करने से लगभग वेलाओ वालुं कीधुं ऐसा अतिचार लगता है। इसलिए खाना, मुंह साफ करना, दवा लेना एंव पानी चूकाना (पीना) आदि का समय निकालकर भोजन कर लेना चहिए। 2. सूर्योदय के बाद सबेरे नवकारशी के लिये दो घडी का समय पालते है वैसे ही सूर्यास्त के पूर्व दो घडी का समय पालना चाहिए और शक्य हो तो दो घडी पूर्व ही चोविहार कर लेना चाहिए। 3. नौकरी धंधा आदि के कारण बाजार से घर पहुँच नहीं सकते उनको घर से टिफिन साथ में ले जाना चाहिए। आज-कल अहमदाबाद में मस्कती मार्केट में अनेक जैन व्यापारी शम का खाना टिफिन में खाते है। मुंबई जैसे शहर में भी चातुर्मास दरम्यान चोविहार हाउस चालू हुए है, जो कि संध्या 44Page Navigation
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