Book Title: Jain Tattva Darshan Part 06 Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai Publisher: Vardhaman Jain Mandal ChennaiPage 87
________________ वणे-5 लाल 3. मिश्र : जीव के प्रयत्न से बजते हुए मृदंग, तबला, शंख आदि की ध्वनि से मिश्रित गीत के जो शब्द। सूर्य के अतिरिक्त चन्द्रादि ज्योतिषी देवों के विमानों के, जुगनू आदि जीवों के और चन्द्रकान्त रत्नों के शीत प्रकाश को उद्योत कहते हैं। __सूर्य का विमान पृथ्विकाय रूप हैं। उनमें रहे जीवों का शरीर शीतल हैं फिर भी उष्ण प्रकाश देता हैं। वह आतप नाम कर्म के उदय से हैं। वर्णादि का स्वरूप नाम अर्थ जैसे कृष्ण श्याम काजल नील बादली आकाश लोहित मजीठ, टमाटर हरिद्रा पीला हल्दी श्वेत सफेद श्वेत शंख गंध - 2 सुगंध कस्तुरी लहसुन रस-5 तिक्त तीखा कटु कड़वा नीम कषाय कसैला (तूरो) त्रिफला अम्ल इमली मधुर मीठा शक्कर स्पर्श-8 ठंडा हिम (बर्फ) उष्ण अग्नि स्निग्ध चिकना तेल रुक्ष रुखा लघु हल्का भारी लोहा कोमल मक्खन कर्कश कठिन आरी सुरभि दुरभि दुर्गन्ध झूठ खट्टा शीत गर्म राख रुई गुरु मृदु 85Page Navigation
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