Book Title: Jain Tattva Darshan Part 06
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai
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15. सूत्र एवं विधि
A. सूत्र
(अ) दो प्रतिक्रमण सूत्र
B. अर्थ
(अ) इरियावहियं से सामाइयवय जुत्तो C. विधि
(अ) श्री राईय प्रतिक्रमण विधि
D. पच्चक्खाण
(अ) तिविहार उपवास
सूरे उग्ग, अब्भत्तङ्कं पच्चक्खाइ, तिविहंपि आहारं असणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, परिद्वावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं, पाणहार, पोरिसिं, साढ पोरिसिं, मुट्ठिसहिअं पच्चक्खाइ, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पच्छन्नकालेणं दिसामोहेणं, साहुवयणेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं, पाणस्स, लेवेणवा, अलेवेणवा, अच्छेणवा, बहुलेवेणवा, ससित्थेणवा, असित्थेणवा, वोसिरइ।
(नोट:- 1 उपवास - अब्भत्तट्टं,
2 उपवास-छटुंभत्तं
4 उपवास-दसमभत्तं 7 उपवास - सोलसभत्तं
(आ) श्री देवसिअ प्रतिक्रमण विधि
5 उपवास - बारसभत्तं 8 उपवास-अट्ठारसभत्तं
3 उपवास - अट्ठमभत्तं,
6 उपवास-चौदसभत्तं
9 उपवास-वीसभत्तं)
(आ) चउविहार उपवास
सूरे उग्गओ, अब्भत्तद्वं पच्चक्खाइ, चउव्विहंपि आहारं असणं, पाणं, खाइम, साइमं, अन्नत्थाणाभोगेणं, सहसागारेणं, परिद्वावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरइ ।।
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(इ) पाणहार का पच्चक्खाण
पाणहार दिवसचरिमं, पच्चक्खाइ, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरइ ॥
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