Book Title: Jain Tattva Darshan Part 06
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 101
________________ _16. कहानी A. श्री वजस्वामी श्री जिनशासन में आठ प्रभावक कहे गए हैं। उनमें से प्रथम प्रवचन प्रभावक कहलाते हैं। वे महाभाग श्री जिनधर्म की महाप्रभावना करते हैं, अर्थात् उनकी विलक्षण शक्ति से अनेक जीव श्री जिनशासन के प्रभाव में आते हैं। इस संदर्भ में श्री वज्रस्वामी की कथा इस प्रकार है। मालवदेश में तुंबीवन नाम गाँव में आर्यधनगिरि नामक ब्राह्मण रहते थे। उनकी सुनंदा नामक सुंदर एवं गुण युक्त पत्नी थी। सिंहगिरि नाम के जैनाचार्य का धनगिरि को समागम होने पर उन्हें संसार की यथार्थता एवं असारता का बोध हुआ। उन्हें इतना प्रबल वैराग्य हुआ कि उन्होंने गर्भवती सुनंदा को छोडकर श्री सिंहगिरि के पास दीक्षा ले ली। कुछ समय के बाद सुनंदा ने पुत्र को जन्म दिया। रूप-रूप के अंबार जैसा यह बालक सभी को स्वत: प्रिय लगता। आस-पास की कई सन्नारियाँ उसे क्रीडा करवाने अथवा झूला देने आती थी। एक बार कुछ महिलाएँ उसके झूले के पास बैठकर बातों में लगी। बातबात में वे पुत्र जन्म के उत्सव की चर्चा करने लगी। कुछ ही महिनों का यह बालक कान चौकन्ने करके जिज्ञासा पूर्वक उनकी बातें सुनने लगा। उनमें से एक महिला बोली: बिल्कुल ही सच्ची बात है, धनगिरि तो बहुत ही होशियार और उत्साही थे। यदि उन्होंने दीक्षा न ली होती, तो वे पुत्र जन्मोत्सव ऐसा करते कि अपना सारा मोहल्ला दमक उठता। 99

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