Book Title: Jain Tattva Darshan Part 06
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 63
________________ नोट : संखारे का पानी गटर में फेंकने से विराधना होती है। इसलिए एक अलग कोठी में अलगण पानी रखकर, उसमें संखारा डालना। दूसरे दिन वह पानी छानकर उपयोग में ले लेना और नया ताजा पानी कोठी में भरकर उसमें संखारा डालना। इस तरह रोज करने से संखारे के जीवों को बचाया जा सकता है। खास ध्यान रखें : छाने हुए पानी में अपने हाथ अथवा झूठे ग्लास नहीं डालें। पानी लेने के लिए लंबी डंडीवाले ग्लास का उपयोग करें। पीने के पानी में झूठे ग्लास डालने से सम्पूर्ण घड़े में संमूर्च्छिम पंचेन्द्रिय जीवों की उत्पत्ति होती है। ऐसे पानी का उपयोग करने से बहुत विराधना होती है। इसलिए पानी कम ढोलना और यदि ढ़ोलना ही पड़े तो पानी छानकर संखारे की जयणा करने से प्रतिबूंद में 36450 त्रस जीवों को अभयदान दिया जा सकता है। आँख में मिर्ची डालने से जो वेदना होती है, उससे कई गुणा अधिक वेदना पानी के जीवों को साबुन रगड़ने से होती है। 3. तेउकाय (अग्नि) : सर्व प्रकार की अग्नि और इलेक्ट्रिसिटी शस्त्र कहलाता है। इसके सम्पर्क में आने वाले सभी का कच्चरघाण निकल जाता है। अग्नि से छ: (छओ) काय की विराधन होती है। इलेक्ट्रिसिटी के उपयोग में सावधानी जहाँ पानी का वेगपूर्वक प्रवाह बहता हो, वहाँ विद्युत उत्पन्न करने के साधन (मशीन वगैरह) में मछलियाँ वगैरह कट जाती है और उसके कारण खून की नदी बहने लगती है। तुम्हारे एक स्वीच का कनेक्शन पानी के प्रवाह तक है, वह मत भूलना। हजारों और लाखों वोल्ट के विद्युत के साथ भी तुम्हारे स्वीच का वाया-वाया संबंध है, इसलिए किसी भी इलेक्ट्रिक वस्तु-साधन का उपयोग करने पर सर्व जीवों की विरधना में भागीदार बनना पड़ता है, इसलिए जितनी हो सके उतनी जयणा रखने के लिए प्रयत्नशील बनें। __ गैस की पाईपलाईन का भी सब गैस के साथ में सम्बन्ध होने से बारम्बार गैस सुलगाना नहीं। जमीन पर सीधा गरम टोप नहीं रखना लेकिन स्टैंड पर रखना। सब चीजों को ढककर रखना, जिससे जीव उस में गिरकर न मरे। नियम : अ) बार-बार स्वीच को चालू-बंद निरर्थक नहीं करना। ब) हो सके वहाँ तक इलेक्ट्रिक के नये साधनों को घर में नहीं बसाना और लाने की संमति भी नहीं देना, साधनों की प्रशंसा भी नहीं करनी। स) बार-बार गैस चालू नहीं करना। 4. वायुकाय (हवा) :- सभी प्रकार की हवा, ए.सी., पंखे की हवा, तूफान, आँधी वगैरह में । वायुकाय के जीव है। इसलिए हो सके उतनी जयणा रखना। 61

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