Book Title: Jain Tattva Darshan Part 06
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 57
________________ जंगल में रहने वाली आदिवासी प्रजा में भी विनय का महत्त्व है कि सुबह सुबह उठकर पुत्र अपने पिता को रॉम-रॉम कहकर मिलता है, पिता भी पुत्र को इसी शब्दों से प्रत्युत्तर देते हैं। पुत्रवधु भी सुबह उठकर श्वसुर-जेठ वगैरह वडिलों को नीचे झुककर अपने ओढनी के एक पल्ले को जमीन अडाकर बावझी आझराम बोलकर मिलती है, प्रत्युत्तर में वडील झवारा शब्द बोलते है। B. अनाथाश्रम की मुलाकात लेना माता ने तुम्हारे लिये क्या किया ? यह देखना हो तो, कभी महिने में एक बार किसी अनाथाश्रम में भी अवश्य जाना। वहाँ तुम्हारे जैसे ही दो हाथ, दो पैर वाले बालकों को देखना। उनकी माता कौन है ? यह उनको ज्ञात नहीं। इनका पिता कौन है, यह भी उनको ज्ञात नहीं । ऐसे अनाथ बालकों को लाचारी से पलते हुए देखना। तब तुम्हें मालूम पडेगा कि तुम्हारी माता ने तुम्हारे लिए क्या किया ? तुम्हारी माता ने तुम्हें जन्म के साथ ही तुम्हारा परित्याग करके अनाथाश्रम में नहीं भेजा, यह उसका तुम पर अनन्य उपकार नहीं है क्या ? अनाथाश्रम वालों की विनती से एक साधु-महात्मा अनाथ बालको को मांगलिक सुनाने एवं आशीर्वाद देने के लिए अनाथाश्रम में गए, वहाँ उन्होंने बालकों की जो स्थिति देखी, वह सुनने पर अपनी भी आँखों से अश्रुधारा बहें बिना नहीं रहेगी। वे साधु-महात्मा अनाथाश्रम के बालकों के पास जाकर वापस उपाश्रय में लौटे, जहाँ उनके लिए गोचरी आ गई थी, फिर भी उन्होंने कुछ भी नहीं खाया। वे कुछ खा नहीं सके, क्योंकि अनाथाश्रम के बच्चों का बुरा हाल देखकर, वे बहुत दु:खी हो गए थे। के छोटे-छोटे पालनों में एक-दो दिन के जन्मे हुए बालक लाचार स्थिति में सोए हुए थे। उनकी माता उनको जन्म देकर, वे कहीं गैर रीति से जन्में होंगे, जिसके कारण समाज के भय से अपने जन्मे हुए बालक को रास्ते में अथवा ट्रेन की पटरी पर छोड कर चली गई होगी। ऐसी दयनीय स्थिति में उन बालकों को देखकर उन साधु-महात्मा का हृदय द्रवित हो गया, जिससे कुछ भी खाने पीने का मन नहीं हुआ। एक माता ने उसके एक ही दिन के जन्मे हुए बालक को ट्रेन की पटरी पर छोड़ दिया था और अपने हृदय पर पत्थर रखकर उसकी माता चली गई थी। रात्रि को जंगली चूहों ने ताजे जन्मे हुए उस बालक का नाक नोच डाला था। मानव सेवा संघ के कार्यकर्ताओं को इसकी सूचना प्राप्त होने पर वे दौडे और उस बालक को अनाथाश्रम में ले आए। यह घटना उन महात्मा को बतायी गयी। बेचारे का कोमल नाक चूहों की दाढों से चबाया जा चुका था तथा वह आँखे मूंदकर अनाथाश्रम के पालने में पड़ा हुआ था। ऐसे 55

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