Book Title: Jain Tattva Darshan Part 06
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 35
________________ है। स्वयं तो सुंदर संयम का पालन करते है और अपने साथी साधुओं को भी सुंदर संयम का पालन कराने में सहायक बनते है। इसलिए साधुभगवंतों का विशिष्ट गुण है - सहायकता । ऐसे श्रेष्ठ गुणवाले साधु भगवंतों को नमस्कार करने से उनके जैसे गुण हमारे जीवन में प्रगट होते है। इसलिए उन्हें भावपूर्वक नमस्कार करना चाहिए। प्रश्नः साधु भगवंतों का वर्ण कौन सा ? उत्तरः साधु भगवंत साधना करते हुए, सहन करते हुए, सहायता करते हुए आत्मा पर लगे हुए काले कर्मों को दूर करते है। अत: उनका वर्ण काला होता है। प्रश्नः साधु भगवंतों के कितने गुण प्रचलित है ? उत्तरः साधु भगवंतों के 27 गुण प्रचलित है। वे इस प्रकार है : 1 से 5 पाँच महाव्रत = रात्री भोजन विरमण (त्याग) व्रत पृथ्वीकाय, अप्काय, तेऊकाय, वायुकाय, वनस्पतिकाय और त्रसकाय की रक्षा करना पाँचों इन्द्रियों को नियंत्रण में रखना लोभ निग्रह = 6 7 से 12 13 से 17 18 19 20 21 22 23 से 25 = 26 27 प्रश्न: पांच महाव्रत कौन कौन से है ? उत्तर: 1. जगत के किसी भी जीव को मारना नहीं, दुःखी नहीं करना । किसी प्रकार का कष्ट नहीं देना, यहां तक कि ऐसा करने का विचार तक नहीं करना। दूसरों के पास ऐसा कुछ भी नहीं कराना और जो ऐसा करते है उन्हें मन से अच्छा नहीं मानना । इस महाव्रत को शास्त्रीय भाषा में सर्वथा प्राणातिपात विरमण महाव्रत कहते है । = = = क्षमा = भाव शुद्धि = = = = = पडिलेहण, आदि क्रियाओं में शुद्धि संयम योगों का पालन अशुभ मन, वचन और काया का निरोध ठंडी, गर्मी आदि परिषह (कष्टों) को सहन करना मरणांत उपर्सग में समाधि रखना । 2. कभी भी झूठ नहीं बोलना। किसी दूसरों के पास झूठ बुलवाना भी नहीं । झूठ बोलने वालों को मन से भी अच्छा नही मानना। इसका नाम असत्य त्याग। इस महाव्रत को शास्त्रीय भाषा में सर्वथा मृषावाद विरमण व्रत कहते है । 33

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