Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner
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ऊपर की तरह दस दस घटा लेना चाहिये । जहां दस घटाने से एक ही अंक दो बार आता हो वहां वीस घटा लेना चाहिए । ग्यारहवे और सोलहवे कोष्टकों में इसी कारण दस के बदले बीस घटाये गये हैं। - इस प्रकार आनुनूर्वी के पहले, पाच, नवें, तेरहवें और सत्रहवें कोष्ठकों के अन्तिम अक क्रमशः ४५.५४, ५३, ५२ और ५१ हैं। अगले तीन कोष्ठकों की अन्तिम अंकों के लिये पूर्ववर्ती कोष्ठकों में से दस दस घटा लेना चाहिये । किन्तु छठे ग्यारहवें और सोलहवे कोष्ठकों में से दस के बदले बीस घटाना चाहिये अन्यथा एक ही अंक दुवारा आ जाता है।
बीस कोष्ठकों में अन्तिम दो अंक ऊपर लिखे यन्त्र के अनुसार भरना चाहिये । कोष्टकों के चौथे पांचवें खानों में ये अंक स्थायी रहेंगे और पहले के तीन खानों में ये अंक नहीं जायंगे। अन्तिम दो खानों में ऊपर लिखे अनुमार अक रखने के बाद तीन अक शेष रहेंगे। तीन अंकों में सब से छोटे अंक को पहला उससे बड़े को दूसरा और उससे भी बड़े को तीसरा अंक समझना चाहिये । मान लो, अन्तिम चौथे पांचवें खानों में ३४ अक रखने के बाद १,२ और ५ ये तीन अंक शेष रहे। इनमें १ को पहला, २ को दूसरा, और पांच को तीसरा अ क समझना चाहिये । पहला दूसरा और तीसरा अंक प्रथम तीन खानों में छहों भगों में निम्नलिखित यन्त्र के अनुसार रहेंगे
पहला भंग दूसरा भंग तीसरा भंग चौथा भंग पांचवां भंग छठा भंग
पहला दुसरा दूसरा पहला पहला तीसरा तीसरा पहला दूसरा तीसरा तीसरा दूसरा
तीसरा तीसरा दुसरा दूसरा पहला पहला
आनुपूर्वी के चीसों कोष्टकों में यह यन्त्र लागू होता है। बीसों कोष्ठकों में स्थायी अंक भरने के बाद शेप तीन खाने ऊपर लिखे यन्त्र के अनुसार