Book Title: Jain Shikshan Pathmala Author(s): Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar Publisher: Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar View full book textPage 8
________________ ( २ ) हुए तोल माप में न्यूनाधिकता नहीं रखना.. १० व्यापार में अच्छी चीज के साथ हल्की चीज मिला नहीं देना. १ बेचने की चीजों में धूल भूसा रेत चरवी आदि चीजें नहीं मिलाना. : १२ चोरी नहीं करना और चोरी का माल नहीं खरीदना. २३ चोर, कलाल, कसाई, वेश्या आदि हिंसक और दुष्ट मनुष्यों के साथ लेन देन का व्यवहार नहीं करना. १४ लोक निंद्य रोजगार नहीं करना और ऐसे रोजगार की दलाली भी नहीं करना. २५ विश्वासघात और ठगबाजी नहीं करना. १६ किसी के दाम व्याज लेकर नियत " नहीं बिगाड़ना व धर्मादा खाते निकाला हुआ द्रव्य घर में नहीं कपरना और · मुत दिये विना घर में भी नहीं रखना. १७ दारण चोरी आदि राज्य विरुद्धः कर्म नहीं करना.Page Navigation
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