Book Title: Jain Shikshan Pathmala
Author(s): Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
Publisher: Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar

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Page 19
________________ (१३.) २७ मन, वचन और कायाकी शुद्ध परिणति रखना सो धर्मः . पाठ ७वां. गुरु भक्ति । । । १ किसी भी जगह पर गुरु मिले तो खड़े होकर वंदना करना. . : २ गुरु वाहर गांव से आते होवें उस स'. मय चाहे जितना कार्य होवे छोड़ कर सामने जाना, और विहार · करे तव पहुंचाने को जाना. . . . . . . ३ रास्ते में चलते हुए गुरु से आगे, जोड़े में और बहुत करीव पीछे रहकर चल ना या खड़े रहना नहीं किन्तु थोड़ा अंतर रख कर पीछे २ चलना. ४ गुरु बोलते होवे जब बीच में नहीं बोलना. ५ गुरु वुलावे तो सत्पर खड़े होकर जवाब देना पर सुनी अणसुनी करना नहीं. ६ गुरु के सामने कठोर और तुच्छ भाषा में नहीं बोलना. ..

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