Book Title: Jain Shikshan Pathmala
Author(s): Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
Publisher: Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar

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Page 53
________________ (४७) प्रमाण से अधिक बस्त्र रखे सो दोष. ६ धर्मकी हेलना होवे ऐसे गंदे, अपवित्र या रंग वेरंगी वस्त्र रखे सों दोष. . १० पुंछे पडिलेहे विना हालचाल करे सो दोप. ११ सो हात से उपरांत जाने के बाद इरि- यावही न पडिक्कमे तो दोष. १२ निंद्रा से मुक्त होने के वाद चार लोगस्स व पहले समणसूत्र (इच्छामि पडिकमि उंपगामसिज्झाए निगामसिंज्झाए जाब • तस्समिच्छामि दुक्कडं) का काउसग्ग . .. न करे तो दोपं. . . . . .. १३ पडिलेहण किये वाद इरियावहि व ती सरे समणसूत्र (पडिकमामि चउकासं सज्झायस्स इत्यादि) का काउसग्ग-न ... करे तो दोष. १४ शरीर का मैल उतारे या पुछे विना ___ खाज खने तो दोष. १५ विकथा या पर निंदा करे सो दोष. .१६ कलह या मश्करी करें तो दोष. .

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