Book Title: Jain Shikshan Pathmala
Author(s): Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
Publisher: Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar

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Page 66
________________ 1 ( ६० ) २२ गंदा, अपवित्र, मलीन व पसीना वाला जल नहीं वहोराना. २३ धोरण आदि पानी दो बड़ी के पहले नहीं वहोरानाः २४ जिसको कोट, रक्त पित आदि रोग 'हुआ हो उसको नहीं बहोराना चाहिये. २५ फूंक मार कर या झट्का डालकर नहीं वहोराना. २६ तीन द्वार लांघ कर नहीं वहोराना. २७ अनादर करके, बहुत देर लगाके, कटोर वचन सुना कर या मुंह बिगाड़ कर वहीं वोहराना. २८ आहार वहोरा कर गर्व नहीं करना क पश्चाताप भी नहीं करना. २९ खुद सुझता होवे तो दूसरे को न कह - कर खुद को ही वहोरांना. ३० कपट से या लालच से नहीं बहोराना. ३१ दोष रहित शुद्ध वस्तु चढते भाव से प्रेमपूर्वक वहोराना.

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