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( ४६ ).
स्थल और दिशाकी भी पहले से ही मर्यादा बांधना और उस मर्यादा के वहार नहीं जाना. २० पोषा में प्रहर रात्रि जाने के बाद उंच
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स्वरसे या बहुत जोर से नहीं बोलना.
पाठ २०वां पोपा के २१ दोष.
१ पोषाके निमित्त हजामत करावे, वस्त्र धु
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पावे, रंगावे और शरीर शुश्रूषा करे सो दोष.
२ पोषाके अगले दिन विपय सेवे सो दोष. ३ अजीर्ण होवे उस प्रकार अधिक आहार खार में करे सो दोष.
४ विषय. विकार वढे ऐसा मादक आहार खारमें करे सो दोष.
, ५ पोषाके वस्त्र तथा उपकरण वरावर पुंछे पडिले हे नहीं सो दोष.
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६ उच्चारादिक भूमिका पडिलेहरण किये विना परठवे सो दोष.
७ पोषधत्रत विधि से बांधे पारे सो दोष,
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