Book Title: Jain Shikshan Pathmala
Author(s): Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
Publisher: Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar

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Page 50
________________ .. १० पोषधकाल सूर्योदय से शुरु होकर दूसरे दिन सूर्योदय होवें वहां तक आठ प्रहर का पोपा होवे. ... ... ११ पोपामें दिनकों सोना नहीं चाहिये और काम विना हलचल नहीं करना चाहिये. १२ सामायिकमें बतलाये हुए कार्य ही पोपा में होसके पर दूसरा कार्य नहीं करना चाहिये.. :: . १३. शामको यो दूसरे दिन प्रातःकाल को बड़े " : श्रावक की आज्ञा लेकर प्रत्येक उपकरण और वस्त्रों का पडिलेहण करना. . १४ सुबह शाम.दोनों वक्त प्रतिक्रमण करना. १५ पोषामें लघुनीत या बड़ीनीत का काम * : पड़े तो निबंध स्थानमें जाकर परठ "ना: पंरठने कोजाते.'संमय श्रावस्स हि" कहना; जमीन देखकर 'अणु. जाणह" कह कर व. शक्रंद्रकी आज्ञा लेकर परठना, परंठ कर वोसिरेह, वोसिरेह कहना; फिर अंदर आते हुए

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