Book Title: Jain Shikshan Pathmala
Author(s): Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
Publisher: Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar

View full book text
Previous | Next

Page 56
________________ (५० नहीं निवते. १९ कुट्ठण पिट्टणसे कुछ निवर्ते कुछ नहीं निवर्ते. २० पांच इन्द्रियके विषयसे कुछ निवर्ते कुछ नहीं निवर्ते. २१ सर्व पापयोग से कुछ निवर्ते कुछ नहीं निवर्ते. पाठ २२वां गृह विवेक. १ चूला, परींडा, चक्की; उखणा और भोजनस्थान इन पांचों स्थान पर "चद्रवा बांधने की खास जरूरत है. : २ परांडा, चूला, चक्की, वर्तन और नित्य के काम की अन्य चीजें पुंछणी से पुछे बिना काम में नहीं लाना. ३ नरम बुहारी से यत्नपूर्वक निकाला हुआ बुहारी एकांत स्थान में थोड़ा २ डालना. ४ पानी छानकर पीना नातना भी मोटा

Loading...

Page Navigation
1 ... 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67