Book Title: Jain Shikshan Pathmala
Author(s): Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
Publisher: Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar

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Page 36
________________ (६३०) १५ अगम्य विषयमें मिथ्या कल्पना नहीं . करना. '.. , , १६. उत्सूत्र भापण नहीं करना, तथा शंका होवे तो उसका समाधान करना मगर ' शंका नहीं वेदना. : . १७ सोते २ अथवा करवटें बदलते हुए नहीं ... पटना. १८ गुरुको वंदना किये विना प्रश्न नहीं • पूछना और वाचणी भी नहीं लेना.. १९ गुरुका उपकार नहीं भूलना, मगरविद्या . देने वाले का सत्कार वहुमान करना. २० शास्त्र के पवित्र वाक्य अनादर पूर्वक , जहां तहां नहीं उच्चारना, , .. २१ योग्यता से परे शास्त्रीय वांचन करना कराना नहीं., २२ खुल्ले मुंह और दीपक के उजाले में शान नहीं पढ़ना २३. अपवित्र स्थान में धर्मपुस्तक नहीं रखना, २४ व्यवहारिक ज्ञानकी इमारत बनाने को . धार्मिक ज्ञानकी नीव शुरू से ही डालना, ६

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