Book Title: Jain Shikshan Pathmala
Author(s): Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
Publisher: Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar

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Page 46
________________ (४०) ४ निरपेक्ष दोष-शास्त्र की अपेक्षा विना एकांतिक वचन बोले- सो. " .. ५ संक्षेप दोष - सामायिक के पाठ संक्षेप से अपूर्ण बोले. सो. -६ कलह दोष - किसी के साथ क्लेश कंकास करे सो. ७ विकथा दोष - चार किस्म की विकथा 'करे सो. = हास्य दोष- किसी की हांसी मरकरी करे सो. 4 ९ शुद्ध दोष - अशुद्ध उच्चार करे अथवा चकार मकरादि वचन बोले सो. १० मुम्मण दोष- मक्खी की तरह वणवण करते हुए पाठ के शब्द अप्रकट रीति से बोले सो. ' काया के १२ दोष. १ अयोग्यांसन दोष - पैर पर पैर चढ़ाकर अथवा कपड़े की पलांठी बांधकर बैठे - या अन्य कोई अयोग्य श्रासन - से बैठे सो.

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