Book Title: Jain Shikshan Pathmala
Author(s): Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
Publisher: Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar

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Page 47
________________ ( ४१ ) २ चलासन दोष-वार वार आसन बदले या होंडा वगैरह अस्थिर आसन पर वैठे सो. ३ चला दोप - चारों ओर दृष्टि किया करे या विषयावृत्ति से स्त्रियों के तरफ देखे सो. ४ सावद्य क्रिया दोष- सामायिक में बच्चों को खिलाना, कपड़े सीना, नामा लिखना आदि सांसारिक कार्य करे सो. ५ आलंबन दोष- भीति, थंभा आदि के सहारे बैठे सो. ६ आकुंचन प्रसारण दोष- कारण विना शरीर के अवयव वार २ संकोचना ' मसारना सो. · • ७ आलस्य दोष- आलस्य मरोड़े, वगासां खाये, आड़े पासे सोये इत्यादि. ८. मोटन दोप- अंगुली प्रमुख मोड़ कर टचा का फोड़े सो. ६ मल दोष-पुंज बिना खाज खने अथ वा शरीर का मैल उतारे सो. '

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