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(३६) सामायिक के आठ पाठ में पहले के चार पाठ पढकर पीछे इरियावही का
काउसग्ग क्रमशः करना. १० काउसग्ग यानि काया को स्थिर रखना
हाथ पैर होंठ जीभ या आंख की पांप ण तक नहीं हिलाना; सर्व अंग स्थिर रखकर इरियावही का पाठ मन में , याद कर जाना सो कारसग्ग. ११ काउसम्ग खड़े २ करना हो तो हात
लम्व कर जया को लगा कर. हाधि नासिका के अग्र भाग पर ठहरांना वैठे वैठे करना हो पलांठी लगाकर हाथ की दोनों हथेली एक दूसरे पर रख
कर दृष्टि नासिका पर रखना. १२. "नमो अरिहंताणं" बोलकर काउसग्ग
पारना तत्पश्चात् लोगस्स का पाठ वोल कर गुरुको तीन दफे वंदन करके आज्ञा मांगनाः तत्पश्चात "करे निभंते" का पाट वोलकर जिमणा घुटना जमीन