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८ धूमसे द्वार और तुषार पड़े वहीं तक - अंसज्झाय. ६ प्रचंड वायु से रनोदृष्टि होवे वहां तक
असज्झाय. १० भूतादिक की चेष्टा होवे तव असज़्झाय ११ शुक्लपन की दूज का चन्द्र उदय होने
के बाद दो घड़ी पर्यंत असज्झाय. १२ अषाढ शुदि १५ श्रावण बदी १
भादवा शुदी १५ आश्विन वदी १ कार्तिक शुदी १५ मार्गशीर्ष वदी १ चैत्र शुदी १५ वैसाख बदी इन आठ दिन की सारे दिन की
असज्झाय. १३ रोजाना सुबह शाम संध्या की दो
घड़ी मध्य रात्रि और मध्याहन की दो घड़ी इस भांति एक दिन में आठ
घड़ी अकास असज्झाय. . . पाठ १६वां अभक्ष्य का त्याग. १ किसी तरह की मदिरा और मांस का • इस्तेमाल नहीं करना.