Book Title: Jain Shikshan Pathmala
Author(s): Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
Publisher: Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar

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Page 33
________________ (२७) ११ व्याख्यान के अन्दर उंचस्विर से सा मायिक के पाठ नहीं बोलना. , १२ व्याख्यान के अन्दर नवकार वाली अनु... पूर्वी गिनना नहीं तथा कितावें पढना नहीं. १३ व्याख्यानके अन्दर स्वाध्याय:या, पाठ फरना-नहीं. . १४ व्याख्यान के अन्दर श्रवण के सिवाय अल्प कोई भी क्रिया नहीं करना. १५ व्याख्यान के अन्दर चालू विषय के अतिरिक्त उटपटांग प्रश्न पूंछनी नहीं. १६ व्याख्यान के अंदर कारण विना उठ कर चलते नहीं बनना. . १७ व्याख्यान के अंदर दूसरों को उपदेश नहीं देना अथवा व्याख्यान का विपय खुद जानते हों तो उसके विषय में आगे से दूसरों को नहीं कहना. १८ व्याख्यान के विषय की अवंगणना नहीं करना. .... १९ वक्ता की गलती होवे तो भी सभासमक्ष उसको अपमानित कर खष्ट नहीं करना.

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