Book Title: Jain Shikshan Pathmala
Author(s): Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
Publisher: Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar

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Page 16
________________ (१०) १३ शांति, समाधि उत्पन्न करे सो गुरुः १४ कठोर, कर्कश, मर्मवेधक शब्द वोले,नहीं । सो गुरु. . . . . . . . १५.देश, गांव, नगर, उपाश्रय या किसी भी मकान का प्रतिबंध रखे नहीं सो गुरु. १६ आप तरे और अन्य को तारें सो गुरु. १७ निःस्वार्थवृत्ति से हितोपदेश देवे सो गुरु. १८ संयम, तप, ज्ञान, ध्यान और जीवन निर्वाह के सिवाय अन्य कोई भी कार्य करे नहीं सो गुरु. :: १६ दिन में चाहिये उतना अन्न, जल और पहनने को चाहिये उतने वस्त्र तथा ज्ञान के साधन के अतिरिक्त कोई भी चीज का संग्रह न करे.सो.गुरु.. २० देश विदेश में पैर से चल कर विहार - करे सो गुरु.. ... ... २१ सत्य कहने में किसी की भी. परवा न ____करे सो गुरु. ... . , ... :२२ किसी भी समय दीनतान सेने सो गुरु, २३ सदा आत्मानंदी रहें सो गुरु.

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