Book Title: Jain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Shasan Sangh Calcutta

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Page 11
________________ भगवान महावीर और उनका समय शुद्धिशक्लयोः परां काष्ठां योऽवाप्य शान्तिमुत्तमाम् । देशयामास सद्धर्म महावीरं नमामि तम् ॥ महावीर-परिचय जैनियोंके अन्तिम तीर्थंकर भगवान् महावीर विदेह (विहार ) देशस्थ कुण्डपुर के राजा 'सिद्धार्थ के पुत्र थे और माता 'प्रियकारिणी के गर्भसे उत्पन्न, हए थे, जिसका दूसरा नाम 'त्रिशला' भी था और जो वैशालीके राजा 'चेटक' की सुपुत्री थी। आपके शुभ जन्मसे चैत्र शुक्ला त्रयोदशीकी तिथि पवित्र हई और उसे महान् उत्सवोंके लिये पर्वका-सा गौरव प्राप्त हुआ । इस तिथिको जन्मसमय उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र था, जिसे कहीं कहीं 'हस्तोतरा' (हस्त नक्षत्र है * श्वेताम्बर सम्प्रदायके कुछ ग्रन्थोंमें 'क्षत्रियकुण्ड' ऐसा नामोल्लेख भी मिलता है जो संभवतः कुण्डपुरका एक मुहल्ला जान पड़ता है। अन्यथा, उसी सम्प्रदायके दूसरे ग्रन्थोंमें कुण्डग्रामादि-रूपसे कुण्डपुरका साफ़ उल्लेख पाया जाता है। यथा: "हत्युत्तराहिं जामो कुडग्गामे महावीरो।" प्रा०नि० भाग यह कुण्डपुर ही आजकल कुण्डलपुर कहा जाता है,जो कि वास्तवमें वैशालीका उपनगर था। कुछ श्वेताम्बरीय ग्रन्थों में 'बहन' लिखा है।

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