Book Title: Jain Jatiyo ke Gaccho Ka Itihas Part 01
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala

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Page 14
________________ है कि ग्राम के नाम पर कई जतियां बन जाती हैं । जैसे महेश्वरी नगरी से माहेश्वरी, खन्डवा से खण्डेलवाल अग्रह से अग्रवाल पाली से पालीवाल इत्यादि, यी कारण है कि उपकेशपुर से उपकेशवंश कहलाया । उपकेंशवंश के प्रतिबोधक श्राचार्यों का अधिक विहार उपकेशपुर के आस पास के प्रदेशों में होने के कारण उस श्रमण समूह का नाम भी उपकेशगच्छ हो गया जो अद्याऽवधि विद्यमान है। यह बात केवन उपकेश गच्छ के लिए ही नहीं है पर इसी प्रकार शंखेश्वर ग्राम से शंखेश्वरगच्छ वायट ग्राम से वायटगच्छ, नाणा ग्राम से नाणावल गच्छ कोरंट ग्राम से कोरंट गच्छ, हर्षपुरा से हर्षपुरा गच्छ, भिन्नमाल से भिन्नमाल गच्छ, इत्यादि । इस प्रकार उपकेशपुर से उपकेशगच्छ का होना युक्ति युक्त ही है। उएश-यह मूल शब्द "उसवाली ( उसकी ।" भूमि से उत्पन्न हुआ है। प्राकृति के लेखकों ने उकेश और संस्कृत के विद्वानों ने उपकेश शब्द का प्रयोग किया है । और ये ही तीनों शब्द जैसे नगर के लिए प्रयोग में आए हैं वैसे ही उपकेशवंश-जाति और उपकेशगच्छ के लिए काम आये हैं: १-उएशपुर-उकेशपुर-उपकेशपुर । २-उपशवंश (ज्ञाति)-उकेशवंश--उपकेशवंश । ३-उरशगच्छ-उकेशगच्छ-उपकेशगच्छ - इन तीनों शब्दों का प्रयोग नगर, वंश, और गच्छ के साथ किस प्रकार और कहां-कहां पर हुआ ? इसके लिए यहां नमूना के

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