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( ३४ ) गुगलिया । भँडारी चतुर । दुधेड़िया धारोला | काँकरेचा | बोहरा । शिशोदिया.
इन गच्छों के अलावा मन्डो परागच्छ, आगामियागच्छ, द्विवन्दनीक छापरियागच्छ, चित्रावलगच्छ, जीरावलागच्छ वगैरह वगैरह और गच्छोपासकों के भी बहुतसे गौत्र एवं जातियाँ हैं पर दुःख इस बात का है कि वे लोग पूछने पर भी बतलाने में इतनी संकुचितता रखते हैं कि न जाने उन्हों की अजीविका का भङ्ग ही न हो जाता हो । खैर, जब कभी शेष गौत्रों का पता मिलेगा फिर से प्रकाशित करवाया जायगा।
पूर्वोक्त गौत्र जातियों के विषय में कुछ कुछ हाल मुझे प्राप्त हुआ है और अभी मेरा प्रयत्न इस कार्य के लिये चालु ही है इन सब को मैंने जैन जाति महोदय के द्वितीय खण्ड आदि में विस्तार पूर्वक देने का निर्णय किया है अतएव यहाँ केवल नामोल्लेख करना ही समुचित समझा है। ____ ऊपर हम और और गच्छों के आचार्य प्रतिबोधक जैन जातियों के नाम लिख आये हैं इनमें खरतर गच्छाचार्य प्रतिबोधित एकभी जाति नहीं आई। कई स्थानों पर खरतरगच्छीय महा माओं की पौसालें भी है और वे कहते हैं कि हमारी वंशावलिये बीकानेर में कर्नचन्द वच्छावत ने कुए में डाल कर नष्ट कर डाली, पर यह यात मानने में जी जरा हिचकिचाता है और समझ में नहीं आता है कि कर्मचन्द वच्छावत जैसा एक बड़ा भारी विद्वान् इतिहास की खासी समग्री की सब की सब बहियें (वंशावलिये) यकायक कुँए में क्योंकर डाल सका होगा ? यदि थोड़ी देर के लिये इस बात को हम मान भी लें तो भी अखिल भारत के