Book Title: Jain Jatiyo ke Gaccho Ka Itihas Part 01
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala

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Page 47
________________ तमाम खरतरों की वंशावलियों को सहसा कुँए में डाल देने का कोई न कोई जबर्दस्त कारण भी होना चाहिये । और इसके लिये हमारे ध्यान में तो यही कारण होना चाहिये कि या तो वे वंशावलिये जाली कल्पित, एवं हानिकारक हो ? या उन वंशावलियों को लिखने वालों की दानत खराब हो ? यदि इन कारणों में से कोई कारण न होता तो कर्मचन्द जैसे एक विद्वान् के लिये यह कहना कि उन्होंने हमारी वशावलियों की बहियो को कुँए में डाल दी, सरासर मिथ्या सिद्ध होता है। ... एक शंका और भी पैदा होती है कि क्या कर्मचन्द वच्छावत ने अखल भारतीय खरतरों की वशावलिएं बीकानेर मंगाली थी ? और वे खरतर कुल गुरु गाड़ा भर २ कर सात नहीं पर सत्तावीस पुश्त ( पीढियों) की बहियां बीकानेर ले आये, और कर्मचन्द ने उन सब को कुँए में डाल दी ? शायद इसका यह तो कारण न हो कि कर्मचाद वच्छावत को ज्ञात होगया हो कि हमारे पूर्वज राव बोहत्थों को कोरंट गच्छाचार्य नन्नप्रभसूरि ने प्रतिबोध देकर जैन बनाया अतः हम कोरंटगच्छोपासक श्रावक हैं। अधिक परिचय के कारण हम खरतर गच्छ की क्रिया करते हैं । पर ये खरतर लोग हमको झूठ मूठ ही खरतर बनाने की कोशिश करते हैं । अतएव इन बहियों को कुँए में डाल कर हमारी होनहार संतान को सुखी बना दें ताकि अब खरतरा उनको तंग और दुःखी न करेंगे। . वास्तव में न तो किसी खरतराचार्य - ने अजैनों को जैन बनाया है । न इनके पास किन्ही गोत्र-जाति की वंशावलियां

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