Book Title: Jain Jatiyo ke Gaccho Ka Itihas Part 01
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala

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Page 95
________________ ( ८३ ) उपदेश कर जैन बनाये बापना गौत्र स्थापन किया तथा पूर्व रस्तप्रभसरि द्वारा स्थापित बाफना गौत्र भी इनमें मिलगया इत्यादि . कसौटी-इस घटना का समय जिनवल्लभ सरि और जिनदत्त सूरि से संबन्ध रखता हैं अतएव वि०सं० ११७० के आस पास का समझा जासकता है उस समय धारा या जालौर पर कोई जवन सञ्चू नामक व्यक्ति का अस्तित्व था या नहीं इस के लिये हम यहाँ दोनों स्थानों की वंशावलियों का उल्लेख कर देते है . जालौर के पँवार राजा धारा के पँवार राजा चन्दन राजा नर वर्मा (वि० सं० ११६४) देवराज यशोवर्मा ( , ११९२) अप्राजित जयवर्मा धारावर्ष विजल लक्षणवर्मा (, ६२००) हरिचन्द्र (, १२३६) विशालदेव (वि० ११७४) (जालोर तोपखाना का शिलालेख) । (पवारों का इतिहास से) कुंतपाल (वि० १२३६ ) जालौर और धारा के राजाओं में जवन सच्चू की गन्ध तक भी नहीं मिलती है फिर समझ में नहीं आता है कि यविजी ने यह गप्प क्यों हांक दी होगी ? ____ आचार्य रत्नप्रभसूरि ने बाफना पहिला बनाया था तो यतिजी लिखते ही हैं फिर दादाजी ने बाफनागौत्र क्यों स्थापित किया और

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