Book Title: Jain Jatiyo ke Gaccho Ka Itihas Part 01
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpamala

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Page 82
________________ ( ७० ) 'पल्लीवाल ब्राह्मण अन्यत्र जाकर वास करने से वे ननवाणा बोहरा कहलाया फिर ११६४ में ननवाणा बोहरा बतलाना यह गप्प नहीं तो क्या गप्प के बच्चे हैं ? ४ मुनौयत-जोधपुर के राजा रायपालजी के १३ पुत्र थे जिसमें चतुर्थ पुत्र मोहणजी थे वि० सं० १३०१ में प्राचार्य शिवसेनसूरिने मोहणजी आदि को उपदेश देकर जैन बनाये आपकी संतान मुणोयतो के नाम से मशहूर हुई मोहणजो के सतावोसबी पीढि में मेहताजी विजयसिंहजी हुए (देखो आपका जीवन चरित्र) "खरतर यतिरामलालजी ने महा० मुक्ता. पृ० ९८ पर लिखा है कि वि० सं० १५९५ में आचार्य जिनचन्द्रसूरि ने किसनगढ़ के राव रायमलजी के पुत्र मोहनजी को प्रतिवोध कर जैन वनाये मूलगच्छ. खरतर-" · कसौटी-मारवाड़ राज के इतिहास में लिखा है कि जोधपुर के राजा उदयसिंहजी के पुत्र किसनसिंहजी ने वि० सं० १६६६ में किसनगढ़ वसाया यही बात भारत के प्राचीन राज वंश (राष्ट्रकूट) पृष्ट ३६८ पर ऐ० पं०विश्वेवरनाथ रेउ ने लिखी है जब किसनगढ़ ही वि० सं० १६६६ में वसा है तो वि० सं० १५९५ में किसनगढ़ के राजा रायमल के पुत्र मोहणजी को कैसे प्रतिबोध दिया क्या यह मुनोयतों के प्राचीन इतिहास का खून नहीं है ? यतिजी जिस किशनगढ़ के राजा रायपाल का स्वप्न देखा है उसको किसी इतिहास में बतलाने का कष्ट करेगा ? . ५सुरांणा-वि० सं० ११३२ में प्राचार्य धर्मघोषसूरि ने पंवार राव सुरा आदि को प्रतिबोध कर जैन बनाये जिसकी उत्पति

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